परमवीर चक्र भारत का सबसे उच्चतम सैन्य सम्मान, क्यों और किसे दिया जाता है यह सम्मान
परमवीर चक्र से नवाजे गए सैनिकों की संख्या सीमित है, क्योंकि यह केवल उन सैनिकों को प्रदान किया जाता है, जो असाधारण साहस, बलिदान और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हैं।
परमवीर चक्र पाने वाले पहले व्यक्ति मेजर सोमनाथ शर्मा थे। उन्हें 3 नवंबर 1947 को श्रीनगर हवाई अड्डे की रक्षा में उनके कार्यों के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
परमवीर चक्र को अमेरिका के सम्मान पदक और यूके के विक्टोरिया क्रॉस के बराबर का दर्जा हासिल है।
परमवीर चक्र भारत का सबसे उच्चतम सैन्य सम्मान है, जिसे अद्वितीय बहादुरी, शौर्य और त्याग के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के सदस्यों को दिया जाता है। यह सम्मान युद्ध के मैदान में असाधारण वीरता प्रदर्शित करने वाले सैनिकों को प्रदान किया जाता है, खासकर तब, जब वे दुश्मन के सामने अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा में लगे रहते हैं। यह सम्मान भारत सरकार द्वारा किसी भी रंगरूट (थल सेना, वायु सेना या नौसेना) के सैनिक को दिया जा सकता है।
परमवीर चक्र की स्थापना 26 जनवरी 1950 को हुई थी, जब भारत एक गणतंत्र बना था। यह सम्मान भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही देश के वीर सैनिकों के योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। परमवीर चक्र का डिज़ाइन प्रसिद्ध भारतीय शिल्पकार सवित्री खानोंलकर द्वारा तैयार किया गया था, जिनका विवाह एक भारतीय सेना के अधिकारी से हुआ था और जिनकी पुत्रवधु ने बाद में यह पुरस्कार प्राप्त किया।
कैसा दिखाता है परमवीर चक्र
परमवीर चक्र का डिजाइन बहुत ही विशेष और प्रतीकात्मक होता है। इसे भारतीय शिल्पकार सवित्री बाई खानोलकर ने तैयार किया था, जिनकी डिजाइन ने भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों और वीरता के तत्वों को शामिल किया है।
- रंग और आकार: यह पदक कांस्य (ब्रॉन्ज़) धातु से बना होता है और गोलाकार होता है। इसका व्यास लगभग 1.38 इंच (यानि 35 मिमी) होता है।
- अशोक चक्र का प्रतीक: पदक के केंद्र में भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चक्र होता है, जो वीरता और शक्ति का प्रतीक है। यह भारत के गौरवशाली इतिहास और नायकत्व को दर्शाता है।
- चार इंडियन-अस्त्र चिह्न: अशोक चक्र के चारों दिशाओं में चार छोटे पदक चिन्ह होते हैं, जो भारतीय परंपरागत अस्त्रों का प्रतीक हैं। यह अस्त्र त्रिशूल, खड्ग, धनुष और बाण की आकृतियों में होते हैं, जो भारतीय योद्धाओं की शक्ति, साहस और परंपरागत शौर्य को दर्शाते हैं।
- पट्टिका और फीत: परमवीर चक्र के साथ एक गहरे बैंगनी रंग की रिबन (फीत) होती है, जिसे वर्दी पर पहना जाता है। गहरे बैंगनी रंग को बलिदान और वीरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो युद्ध के दौरान दिए गए सर्वोच्च बलिदान को प्रदर्शित करता है।
- सादगी में महानता: इसका डिजाइन बहुत सरल और सादगी भरा है, जो पदक की महानता को दर्शाता है। इसमें तामझाम नहीं है, बल्कि इसका सरल रूप ही वीरता के आदर्श को दर्शाता है।
परमवीर चक्र का यह डिजाइन केवल वीरता का प्रतीक ही नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, परंपरा और संस्कृति का भी प्रतीक है।
अब तक कितने लोगों को मिला है परमवीर चक्र
परमवीर चक्र से नवाजे गए सैनिकों की संख्या सीमित है, क्योंकि यह केवल उन सैनिकों को प्रदान किया जाता है, जो असाधारण साहस, बलिदान और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हैं। यह सम्मान भारतीय सशस्त्र बलों के उन सदस्यों को दिया जाता है जो ऐसी परिस्थितियों में अपने प्राणों की आहुति देने से भी नहीं हिचकते, जब राष्ट्र की रक्षा के लिए सबसे कठिन लड़ाई लड़नी पड़ती है। इसे थलसेना, नौसेना और वायुसेना के सैनिकों को प्रदान किया जा सकता है।
अब तक कुल 21 वीर सैनिकों को परमवीर चक्र से नवाजा गया है। इन 21 में से 14 सैनिकों को यह सम्मान मरणोपरांत मिला, क्योंकि उन्होंने युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। जिनमें कुछ प्रमुख नाम जैसे कैप्टन विक्रम बत्रा, नायब सूबेदार संजय कुमार, सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) बाना सिंह, मेजर सोमनाथ शर्मा आदि, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपने कर्तव्य का निर्वाह किया और मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी।
• मेजर सोमनाथ शर्मा (प्रथम परमवीर चक्र विजेता, 1947-48 के कश्मीर युद्ध में)
• कैप्टन विक्रम बत्रा (कारगिल युद्ध, 1999)
• नायब सूबेदार संजय कुमार (कारगिल युद्ध, 1999)
• सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) बाना सिंह (सियाचिन ऑपरेशन)
परमवीर चक्र पाने वाले सैनिकों के अद्वितीय साहस और बलिदान की कहानियां भारतीय इतिहास में अमर हैं। यह सम्मान केवल वीरता का प्रतीक नहीं, बल्कि देश के प्रति निस्वार्थ प्रेम और त्याग की सर्वोच्च मिसाल भी है।
परमवीर चक्र का महत्व
परमवीर चक्र का महत्व न केवल भारतीय सेना में बल्कि पूरे देश में भी अद्वितीय है। यह उन वीर सैनिकों की याद दिलाता है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। इस सम्मान को पाना एक ऐसी गौरवशाली उपलब्धि मानी जाती है, जो हमेशा देशवासियों और सेनाओं के मन में गर्व की भावना जगाती है।
क्यों कहा जाता है परमवीर चक्र को ही सर्वोच्च पदक
- परमवीर चक्र को भारत का सर्वोच्च पदक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पदक युद्ध के मैदान में असाधारण साहस, वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है। यह सम्मान उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की है। इस पदक को सर्वोच्च कहने के कई कारण हैं, जैसे-
- अद्वितीय वीरता का प्रतीक: परमवीर चक्र उन सैनिकों को ही दिया जाता है जो सबसे खतरनाक परिस्थितियों में दुश्मन का सामना करते हैं और अपने जीवन को दांव पर लगाकर भी देश की रक्षा करते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए असाधारण बहादुरी और बलिदान की आवश्यकता होती है, जो सामान्य वीरता से कहीं अधिक होता है।
- सशस्त्र बलों में सर्वोच्च मान्यता: भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना में यह सबसे उच्चतम वीरता पदक है। यह किसी भी सैनिक के लिए सबसे बड़ी सम्मानजनक उपलब्धि मानी जाती है, जिससे उसे राष्ट्र का सर्वोच्च नायक का दर्जा मिलता है।
- बलिदान और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक: परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता को समाज और राष्ट्र में विशेष स्थान प्राप्त होता है। यह सम्मान उन सैनिकों को समर्पित होता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि की रक्षा की है। यह पदक केवल सैनिक के व्यक्तिगत बलिदान को ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
- राष्ट्रीय गौरव: परमवीर चक्र पाने वाले सैनिक न केवल सेना में बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं। यह सम्मान पूरे देश में वीरता, साहस और निष्ठा के प्रतीक के रूप में मान्य है और इसे पाने वाला सैनिक राष्ट्र की असली शक्ति का प्रतीक बनता है।
इस प्रकार, परमवीर चक्र देश के उन सच्चे नायकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का सर्वोच्च प्रतीक है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।